Sunday, January 14, 2018

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सेहरा की दोपहर में नमी बन के रहना 
आदमी को मुश्किल है आदमी बन के रहना 

मैं बरसूंगा एक दिन आखिरी बूँद तक 
तुम खेत सी सूखी ज़मी बन के रहना 

तस्वीर ज़िन्दगी की मुकम्मल नहीं हो जिससे 
वो रंग बन के रहना वो कमी बन के रहना 

ये सितारे खूब  रश्क़  करते हैं फिर भी 
चाँद को आता है लाज़मी बन के रहना 

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