Wednesday, December 27, 2017

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एक मुद्दत से शहर ए  दिल्ली में ,
होशवाले नज़र नहीं आये

उसके दरवाज़े तक तो आये थे हम ,
और अंदर मगर नहीं आये

क्या सितम है के तेरी महफ़िल में
धड़ तो आये सर नहीं आये

उन परिंदो का फिक्रमंद हूँ  जो
शाम से अपने घर नहीं आये

ये सफर साथ तय किया हमने
वक़्त आया तो तुम  नहीं आये


एक शख़्श पे तुमने जां  बिछा दी है
क्या होगा वो अगर नहीं आये

1 comment:

  1. इतना बढ़िया लेख पोस्ट करने के लिए धन्यवाद! अच्छा काम करते रहें!। इस अद्भुत लेख के लिए धन्यवाद ~Rajasthan Ration Card suchi

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