Saturday, November 11, 2017

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इस रात की गहराई में कुछ, आवाज़ बदलती जाती है
एक सन्नाटा सा पसरा है, ख़ामोशी सी छा जाती है ..
कुछ टप टप करती बूदें हैं, कुछ आड़े तिरछे साये हैं
ये मेरा ही घर लगता है, फिर नींद कहाँ खो जाती है.

वो अक्सर मुझसे पूछते हैं, कोई राज़ तुम्हारे दिल में है
मैं अपने दिल से पूछ रहा, क्यों नौबत ऐसी  आती है.
ये  लोग पुराने कहते हैं, सपने भी सच्चे होते हैं,
वो आंख लगाकर बेठे हैं,बस उम्र गुज़रती जाती है.

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